उत्तराखंड देश

शाबाश! भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट. जिन्होने उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार को दिखाया गैरसैंण का आईना

25 मार्च को तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में भाजपा के पर्वतीय प्रकोष्ठ के स्थापना दिवस के विशाल  कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जाजू सहित हजारों लोगों की उपस्थिति में तत्काल गैरसैंण राजधानी बनाने की पुरजोर मांग

नई दिल्ली(प्याउ)।  आज रामनवमी के पावन पर्व पर 25 मार्च की सांयकार जैसे ही दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भाजपा के केन्द्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू(दिल्ली व उत्तराखण्ड के प्रभारी), भाजपा के केन्द्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत, दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी सहित हजारों की संख्या में उपस्थित भाजपा कार्यकत्र्ताओं की उपस्थिति में दिल्ली में 4 बार के विधायक रहे वरिष्ठ भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट ने अपने क्रांतिकारी संबोधन में कहा कि उत्तराखंड अटल जी की देन है और इसकी राजधानी गैरसैण निश्चित हुई थी किन्तु अब तक उस पर कोई निर्णय नही लिया गया । अब केन्द्र व उत्तराखण्ड दोनों जगह  भाजपा की ही सरकार है तो उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण ही होनी चाहिए। दिल्ली भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष रहे श्री बिष्ट ने भाजपा के केन्द्रीय सचिव  तीरथ सिंह रावत को याद दिलाया कि आपकी अध्यक्षता में भी आप गैरसैण के लिए तैयार थे ।

श्री बिष्ट के गैरसैंण राजधानी की दो टूक मांग पर पूरे स्टेडियम में हजारों की संख्या में उपस्थित उत्तराखण्डी समाज ने खुले दिल से स्वागत किया। श्री बिष्ट के संबोधन ने दिल्ली भाजपा के उन उत्तराखण्डी नेताओं का डर भी दूर कर दिया जो अब तक पार्टी के डर के मारे गैरसैंण का समर्थक होने के बाबजूद पार्टी या सार्वजनिक मंचों में गैरसैंण के पक्ष में एक शब्द भी कहने का साहस तक नहीं जुटा पाते थे। श्री बिष्ट ने ऐसे  उत्तराखण्डी भाजपाई नेताओं को न केवल साहस दिया अपितु उनको उत्तराखण्ड के हित में मुखर होने की राह भी दिखाई। दो दशक से दिल्ली विधानसभा में एक मात्र विधायक हो कर उत्तराखण्डी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले मोहन सिंह बिष्ट के इस साहस की दिल्ली के उत्तराखण्डी समाज मुक्त कंठ से सराहना कर रहा है। नेता वही जो जनहित की मांगों को अपने दल में मजबूती से रखे।
वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में तीन चैथाई बहुत से आसीन भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार, जनता की पुरजोर मांग के बाबजूद गैरसैंण राजधानी की घोषणा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हो। 17 साल से राजधानी गैरसैंण न बनाये जाने से आक्रोशित जनता के गुस्से को कम करने के लिए प्रदेश का बजट सत्र गैरसैंण में ही आयोजित कर रही है परन्तु बजट सत्र में ही गैरसैंण राजधानी घोषित करने की पुरजोर मांग को लेकर आंदोलन कर रही प्रदेश की भोली भाली जनता पर पुलिसिया दमन का कहर ढाकर उनकी आवाज बंद करने का कृत्य कर रही है। जबकि कई भाजपा विधायक भी राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग गैरसैंण विधानसभा में ही उठा चूके हैं परन्तु क्या मजाल की नौकरशाही व अपनी पंचतारा संस्कृति के अंध मोह में लिप्त प्रदेश भाजपा का नेतृत्व, राज्य गठन की मूल भावना, राज्य गठन आंदोलनकारियों व शहीदों के सपनों के साथ प्रदेश के चहुमुखी विकास व देश के सुरक्षा के प्रतीक राजधानी गैरसैंण को राजधानी घोषित करने का प्रथम दायित्व तक नहीं निभा रहा है।

उल्लेखनीय है कि 25 मार्च को दिल्ली में आयोजित दिल्ली प्रदेश भाजपा के पर्वतीय प्रकोष्ठ के स्थापना दिवस के कार्यक्रम के बारे में फेसबुक में जानकारी देते हुए द्वारिका प्रसाद चमोली ने बताया कि ताल कटोरा स्टेडियम दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पर्वतीय प्रकोष्ठ ने अपना स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें हजारों की तादाद में जन समूह उमड़ा। इस कार्यक्रम में पूर्वी दिल्ली की महापौर श्रीमती नीमा भगत, पर्वतीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अर्जुन राणा, सह संयोजक श्याम लाल व विनोद बछेती व दिल्ली में उत्तराखंड के सभी 9 पार्षद मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अजय सिंह बिष्ट व सीमा गोहनी जी कर रहे थे । कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोक गायक किशन महिपाल, गायिका कल्पना चैहान व रोहित चैहान  की मनमोहक प्रस्तुति में थिरकने पे मजबूर कर दिया। इस कार्यक्रम को अपने संगीत से मनमोहक बनाया संगीतकार राजेन्द्र चैहान ने।  अपार जनसमूह को देखकर दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी इतने मंत्र मुग्ध हुए कि उन्होंने दो शब्द गढ़वाली के बोलकर व अपनी मधुर आवाज में गीत गाकर सबके दिलों को जीत लिया।
यह कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ ने पर्वतीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अर्जुन राणा,  प्रदेश व भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की नजरों में सफल हो गये। परन्तु दिल्ली की राजनीति में दिल्ली की जनसंख्या के सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले विशाल उत्तराखण्डी समाज को  भाजपा व कांग्रेस ने ही नहीं अपितु नई नवेली आप पार्टी ने भी पार्टी के मुख्य संगठन व चुनाव में सम्मानजनक स्थान देने के बजाय प्रकोष्ठ या सेल की लक्ष्मण रेखा में बंद रखते है। जबकि दिल्ली प्रदेश भाजपा ने उत्तराखण्डी समाज की तरह दिल्ली की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्वांचल समाज को वर्षों पहले न केवल प्रकोष्ठ से मुक्त मोर्चा बना कर मुख्य संगठन व सरकार में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इस के लिए दिल्ली प्रदेश के इन दलों के नेता व उत्तराखण्ड समाज के बडे नेता कभी आवाज तक अपने अपने केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष तक नहीं उठाते। उत्तराखण्डी समाज के सामाजिक संगठनों की तरह प्रायः उत्तराखण्ड समाज के राजनैतिक दलों में जुडे संगठन भी अपने हक हकूकों के बजाय केवल इन दलों के नेताओं की जय जय कार करने व इन दलों के विस्तार करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर नाच गाने के कार्यक्रम तक सीमित रह जाते है। ऐसे कार्यक्रमों में आज मोहन सिंह बिष्ट ने जो साहस करके समाज के विकास व राजनैतिक हितों की रक्षा के लिए राजधानी गैरसैंण राजधानी को घोषित करने का जो मजबूत आवाहन किया, वह मील का पत्थर साबित होगा।

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