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मूर्तियां तोड़ने से नहीं, अपितु अंग्रेजी की गुलामी,आतंकबाद व कायरता को मिटाने की जरूरत है भारत में

त्रिपुरा में लेलिन, बंगाल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, तमिलनाडू में पेरियार व मेरठ में अम्बेडकर की मूर्ति तोड़कर देश की शांति भंग करने का षडयंत्र

लेलिन से नहीं अपितु अंग्रेजी की गुलामी, आतंकबाद व भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले पदलोलुपु हुक्मरानों से खतरा है भारत को

देवसिंह रावत

त्रिपुरा में वामपंथी  माणिक सरकार की हार पर जिस प्रकार से उत्साही भीड़ द्वारा लेलिन की मूर्तियों को ढाहने व माकपा के कार्यालयों पर हमले किये गये, उससे देश की लोकशाही शर्मसार हुई। इसकी जितनी भी निंदा की जाय कम है। त्रिपुरा में लेलिन की मूर्ति को तोड़ने के अगले ही दिन 7 मार्च को कोलकोत्ता से भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा पूंज श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति, तमिलनाडू से पेरियार जी की मूर्तिं व मेरठ से अम्बेडकर जी की मूर्ति तोड़ने की खबर आयी। जिसके साफ संकेत है कि निहित स्वार्थी तत्व अपने राजनेतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए देश को सामाजिक संघर्ष के गर्त में धकेलना चाहती है। सरकार को अविलम्ब इन तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए कड़ाई से तुरंत कार्यवाही करके देश की रक्षा करनी चाहिए।

यह राजनेतिक हिंसा चाहे केरल में सत्तारूढ़ माकपा सरकार के नाक के तले विरोधी भाजपा कार्यकत्र्ताओं की निर्मम हत्या व तृणमुल के शासन में बंगाल में विरोधी दलों के कार्यकत्र्ताओं की निर्मम हत्या करने के समान ही निंदनीय है। मै हैरान हॅू कि भारत के राजनैतिक दलों के ये कार्यकत्र्ता व नेता सत्ता के लिए जो कदम कदम पर हिंसा पर उतारू हो जाते है। अगर इनमें भारत के प्रति रत्ती भर सम्मान रहता या उनके दिलों में भारतीय संस्कृति व लोकशाही के प्रति सम्मान रहता तो वे तत्काल लेलिन की मूर्ति तोड़ने के बजाय इस देश में अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद से बलात थोपी गयी अंग्रेजी की गुलामी, आतंकबाद व कायरता को मिटाने का काम करते। वे देश की संस्कृति को कलंकित करने वाली सरकारों के कसाई खानों को बढावा देने वाले व भारत के नाम को जम्मीदोज करके इंडिया की गुलामी थोपने वाले हुक्मरानों को सत्ताच्युत करने का काम करते। देश के दुश्मन पाक व चीन को मित्र राष्ट्र घोषित करने वाले देश की सुरक्षा से खिलवाड करने वाले हुक्मरानों को बेनकाब करने का काम करते। देश में शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व न्याय को सबको निशुल्क प्रदान करने के बजाय इसको व्यापार बनाने वाले हुक्मरानों की कलुषित चेहरों को बेनकाब करते।

त्रिपुरा में 25 सालों तक सत्तारूढ़ माकपा के हारने व भाजपा को भारी जनसमर्थन मिलने के 48 घण्टे के अंदर ही  त्रिपुरा में रूसी क्रांति के नायक व वामपंथियों के प्रेरणा पुरूष  ब्लादिमीर लेनिन की  बेलोनिया व दक्षिण त्रिपुरा के सबरूम मोटर स्टैंड इलाके में लगी दो  विशाल मूर्तियों पर बुलडोजर चलाते हुए आक्रोशित लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाते हुए ढाह दिया।
गौरतलब है कि त्रिपुरा के बेलोनिया में रूसी क्रांति के नायक ब्लादिमीर लेनिन की यह मूर्ति माकपा शासन के 21 साल पूरे होने पर 2013 में  लगाई गई थी। वामपंथी के सत्ता के दुर्ग के ढ़हते ही त्रिपुरा के कई इलाकों में माकपा के कार्यालयों पर हमले होने से प्रशासन ने धारा 144 लगा दी गई है। पुलिस ने जेसीबी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं बीजेपी ने पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि वामपंथी शासन में दमन के शिकार लोगों ने मूर्ति को ढहाया।
माकपा ने इस कृत्य की कड़ी भत्र्सना करते हुए इसके लिए भाजपा व संघ को जिम्मेदार ठहराया। माकपा ने इसे भाजपा-संघ की दहशत भरी निकृष्ठ राजनीति बताया।  माकपा नेता सीताराम येचुरी ने हिंसा का विरोध करते हुए कहा कि जो हिंसा हो रही है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा-संघ की मंशा इस प्रकरण से बेनकाब हो गयी।  हिंसा के अलावा भाजपा-संघ के राजनीतिक भविष्य कुछ नहीं है और जनता इसका जवाब देगी। वहीं भाजपा ने इस पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि वामपंथी शासन में दमन के शिकार लोगों ने मूर्ति को ढहाया। इस प्रकरण की देष के तमाम राजनैतिक दलों व बुद्धिजीवियों ने कड़ी भत्र्सना की। लोग भाजपा से ममता वनर्जी से प्रेरणा लेने की सीख दे रहे है। जिन्होने बंगाल से 34 वर्षों वामपंथी सरकार को हराकर 2011 में सरकार बनायी परन्तु कहीं लेलिन से लेकर किसी की भी मूर्ति नहीं तोड़ी। आज भी कोलकोता में लेलिन की मूर्ति पहले की तरह विराजमान है।
भाजपा पर लेलिन की मूर्ति ढहाने के लग रहे आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए भाजपा नेता राजू नाथ ने कहा कि टैक्सपेयर्स के पैसे से विदेशी लेनिन की मूर्ति क्यों म्यूनिसिपॉलिटी ने लगाई थी? अगर माकपा के पूर्व मुख्यमंत्री नृपेन चक्रबर्ती की मूर्ति होती तो कोई उसे छूता भी नहीं। आरोप है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने शराब पिलाकर चालक से मूर्ति पर जेसीबी चलवाई। वहीं माकपा नेता तापसस दत्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने मूर्ति गिराने के बाद उसे तोड़ना शुरू किया। उन्होंने लेनिन के सिर से फुटबाल की तरह खेलना शुरू किया।
 त्रिपुरा में लेेनिन की मूर्ति तोड़ने की घटनाओं से आक्रोशित माकपा ने टवीट् कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि ”त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक है।’’
उल्लेखनीय है कि ब्लादिमीर लेनिन को न केवल भारत के अपितु विश्व के वामपंथियों के अपना आदर्श माने जाते हैं। इनके विचार लेनिनवाद के नाम से जाने जाते हैं। रूस में कम्युनिस्ट विचारधारा की जड़ें जमाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। कई बार जेल जाना पड़ा। लेलिन नेे 1898 में बोल्शेविक पार्टी बनाई। 1917 में रूस के पुनर्निमाण की मुहिम चलाते हुए केरेनन्सकी सरकार की विदाई कर दी। इसके बाद 1917 में लेनिन की अध्यक्षता में सोवियत सरकार बनी।
इस देश को लेलिन से कोई खतरा नहीं है। लेलिन को भारत में मजदूर व गरीब विरोधी कुशासन के खिलाफ सतत् संघर्ष करने की प्रेरणा देने का प्रतीक माना जाता। जो अमर संदेश अन्याय के खिलाफ सतत् संघर्ष करने का भगवान श्रीकृष्ण व भगवान राम ने दिया। यही भारतीय संस्कृति का प्राण है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि लेलिन की मूर्ति से देश के हुक्मरान इतना क्यों घबराये हुए है। भारतीय दर्शन समग्र है। वामपंथ अधूरा है। परन्तु अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने की सीख तो देता है। इसलिए वामपंथ से घबराने की जरूरत नहीं थी। हाॅ अंध नक्सलवाद पर अंकुश लगाने की जरूरत है। उससे समझोता नहीं किया जा सकता है। लेलिन की मूर्तियों को  तोड़े जाने से साफ हो गया कि  देश के हुक्मरानों व राजनैतिक दलों को देश पर मंडरा रहे खतरों का तनिक सा भी भान नहीं है।

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