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अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी अंग्रेजी की गुलामी बने रहना देश का दुर्भाग्य है: डा निशंक

भारत को  अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करने के लिए भाषा आंदोलन ऐतिहासिक संघर्ष एक दिन जरूर रंग लायेगाः डा निशंक

 
देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने व भारतीय भाषाओं को लागू करने के लिए सांसदों को साथ लेकर छेडेंगे अभियान

 

नई दिल्ली(प्याउ)। केन्द्र व देश के अधिकांश प्रदेशों में सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता व देश के जाने माने साहित्यकार डा रमेश पोखरियाल निशंक ने दो टूक शब्दों में कहा कि अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी देश में अंग्रेजी की गुलामी बना रहना भारत का दुर्भाग्य है। डा निशंक ने देश से अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति के लिए ऐतिहासिक आंदोलन छेडने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत सभी आंदोलनकारियों को बधाई देते हुए विश्वास प्रकट किया कि एक दिन भारतीय भाषा आंदोलन की मेहनत रंग लायेगी और भारत अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति मिल कर भारतीय भाषाओं का राज स्थापित  होगा। अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त होन व भारतीय भाषायें लागू होने से देश में सही अर्थों में लोकशाही स्थापित होगी और युवाओं को भारी संख्या में रोजगार मिलेगा।
डा निशंक ने कहा कि वे संसार के अधिकांश प्रमुख देशों में भ्रमण करने के बाद उनको भारत में व्याप्त अंग्रेजी की गुलामी ने बेहद व्यथित कर रखा है। संसार के चीन, रूस, जापान, जर्मन, फ्रांस, इजराइल, इटली, टर्की व कोरिया सहित तमाम विकसित देश अपने अपने देश की भाषाओं में चहुमुखी विकास कर विश्व में अपना परचम लहरा रहे है। परन्तु भारत में शिक्षा रोजगार, न्याय व शासन सहित पूरी व्यवस्था में उन्हीं अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी की गुलामी बनी हुई है जिन अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए देश के लाखों सपूतों ने अपना सर्वस्व बलिदान दिया।

डा रमेश पोखरियाल ने यह विचार तब प्रकट किये जब डा निशंक के नई दिल्ली के तीन मूर्ति लेन स्थित संसदीय आवास में भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने उनको भारतीय भाषा आंदोलन के बारे में विस्तार से बताते हुए उनसे भारतीय भाषा आंदोलन में सहभागी बनने का अनुरोध किया। इस अवसर पर देष को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति के लिए विगत 59 माह से संसद की चैखट जंतर मंतर से शहीदी पार्क व संसद मार्ग पर आजादी की जंग छेडने वाले भारतीय भाषा आंदोलन के बारे में विस्तार से बताते हुए बताते हुए प्यारा उत्तराखण्ड का 1 मार्च 2018 को प्रकाशित अंक को भेंट किया। इस अंक में भारतीय भाषा आंदोलन के बारे में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था।
इस अवसर पर भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत, दिल्ली पेरामेडिकल इंस्टीटयूट के प्रमुख डा विनोद बछेती, वरिष्ठ पत्रकार अनिल पंत, देश के वरिश्ठ शिक्षाविद डा राजेश नैथानी व डा निशंक के सहायक श्री रावत आदि उपस्थित थे। देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति के लिए भारतीय भाषाओं के संघर्ष को अपना पूरा समर्थन देते हुए डा निशंक ने कहा कि वह संसद में यह अभियान छेडकर देश को सही अर्थो में आजादी दिलाने का काम करूंगा। इस अवसर पर भारतीय भाषा आदंोलन के प्रमुख देवसिंह रावत ने सांसद डा निशंक को भारतीय भाषा आंदोलन के लिए संघ लोक सेवा आयोग के द्वार पर चले ऐतिहासिक आंदोलन में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व विश्वनाथ प्रताप सिंह, चतुरानंद मिश्र सहित 4 दर्जन सांसदों के संघर्ष के साथ संसद की दर्शक दीर्धा में भारतीय भाषा आंदोलनकारियों द्वारा नारेबाजी करने व संसद में कूदने के गौरवशाली संघर्ष से भी रूबरू किया। इस अवसर पर भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने कहा कि  अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी विश्व को भारत के नाम से वंचित रखकर इंडिया नाम बताना देश के साथ एक विश्वासघात है।
उत्तर प्रदेश में मंत्री व उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री रहे डा रमेश पोखरियाल निशंक वर्तमान में हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के सांसद है। डा निशंक की कविता संग्रह से लेकर अनैक पुस्तकें विश्व के कई देशों के महाविद्यालयों में पढाई जा रही है।

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