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भारतीय भाषाओं को जमीदोज करने के लिए षडयंत्र के तहत ही बनाया गया है भारत को अंग्रेजी का गुलाम

भारतीय भाषा आंदोलन ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर संसद मार्ग दिल्ली पर दिया धरना, प्रधानमंत्री को दिया दो टूक ज्ञापन

 अंग्रेजोंके 71 साल बाद भी भारत को अंग्रेजों की ही भाषा अंग्रेजी का गुलाम बनाने का अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र

नई दिल्ली। भारतीय भाषा आंदोलन ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर संसद मार्ग दिल्ली पर दिया धरना, प्रधानमंत्री को दिया दो टूक ज्ञापन । भारतीय भाषा आंदोलन ने भारतीय भाषाओं को जमींदोज करने के लिए अंग्रेजो ंके 71 साल बाद भी भारत को अंग्रेजों की ही भाषा अंग्रेजी का गुलाम बनाने को अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र बताया।

देश को अंग्रेजीइंडिया की गुलामी से मुक्त कराने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन ने 21 फरवरी से संसद की चैखट संसद मार्ग नई दिल्ली पर धरना दे कर प्रधानमंत्री से दो टूक सवाल पूछा कि आपका कार्यकाल समाप्त होने को है आप कब करेंगे देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त। 59माह से ऐतिहासिक आंदोलन चलाने वाले भारतीय भाषा आंदोलन ने प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन देकर शब्दों में पूछा कि अंग्रेजों के जाने के 71 साल बाद भी भारत अंग्रेजों की ही भाषा ‘अंग्रेजी’ का ही गुलाम क्यों बना हुआ है।
प्रधानमंत्री को दिये ज्ञापन में भारतीय भाषा आंदोलन ने मांग की कि
(1)संघ लोकसेवा आयोग (2) सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों (3) शिक्षा (4) सभी रोजगार की परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता हटा कर भारतीय भाषा लागू करते हुए शासन प्रशासन संचालित करने (5) देश का नाम केवल भारत करने की मांग
प्रधानमंत्री को दिये ज्ञापन में प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाया कि भारतीय भाषा आंदोलन ने 21 अप्रैल 2013 से संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करने के लिए जो आजादी की जंग छेडी हुई थी। 59माह से यह आंदोलन चल रहा है। परन्तु दुर्भाग्य यह देखिये कि अंग्रेजी की गुलामी मे अंधी हो चूकी देश की सरकारों के साथ देश की लोकशाही के प्रहरी समाचार जगत व बुद्धिजीवियों की कानों में जूं तक नहीं रेंग रहा है। आपके नेतृत्व में भी राष्ट्रवादी संघ द्वारा पोषित भाजपा की राजग सरकार के इस कार्यकाल का यह अंतिम वर्ष है। परन्तु आपकी सरकार ने भी देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी को देश से मुक्त करने का कार्य किया। देशभक्तों को आशा थी कि संघ पोषित आपकी सरकार देश को अपनी भारतीय भाषा व अपना नाम भारत प्रदान कर देश को अंग्रेजों के बाद व्याप्त अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति प्रदान करते हुए देश में आजादी व लोकशाही का सूर्योदय से रोशन करेंगे। देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले लाखों देशभक्तों की देश को आजाद करने की हसरत को साकार करेंगी। परन्तु दुर्भाग्य रहा कि आपकी सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की तरह देश की लोकशाही, आजादी, स्वाभिमान, संस्कृति,प्रतिभाओं व मानवाधिकार को निर्मता से रौंद रही अंग्रेजी व इंडिया की भारतद्रोही गुलामी बनाये रखी। देशभक्त खुद से प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने व महाशक्ति बनने का दंभ भरने वाला भारत कब अपनी भाषा व अपने नाम भारत को आत्मसात कर रूस, चीन, जर्मन, फ्रांस, इटली, इजराइल, इंडोनेशिया, कोरिया, टर्की आदि संसार के विकसित, स्वतंत्र व स्वाभिमानी देशों की जमात में सम्मलित होगा।
देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलाम से मुक्ति दिलाने व भारतीय भाषाओं को देश में लागू करने की मांग को लेकर भारतीय भाषा आंदोलन 21 अप्रैल 2013 से संसद की चैखट जंतर मंतर/शहीदी पार्क पर आजादी की जंग छेडे हुए थे। एक तरफ सरकारें देशद्रोहियों व सेना पर हमला करने वाले आतंकियों पर दर्ज मुकदमें वापस ले रही है वहीं दूसरी तरफ देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करने के लिए संसद की चैखट पर शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले भाररतीय भाषा आंदोलन की मांग स्वीकार करने के बजाय पुलिसिया दमन कर रही है। यह देश की लोकशाही व भारतीय संस्कृति पर गंभीर कुठाराघात है। सरकार के तमाम दमन सह कर भी भारतीय भाषा आदंोलन आजादी की यह जंग जारी रखे हुए है। इसी के तहत आज 21 फरवरी से देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने की इसी मांग को लेकर भारतीय भाषा आंदोलन पुन्न संसद की चैखट संसद मार्ग पर इसकी अलख जगाने पंहुची है।
ज्ञापन में भारतीय भाषा आंदोलन ने प्रधानमंत्री को लिखा कि जहां भारत, विश्व में खुद को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहता है। विश्व की महाशक्ति व अर्थशक्ति बनने की हुंकार भरता है। पर हकीकत यह है कि भारत की अनैक समृद्ध भाषायें होने के बाबजूद देश के हुक्मरान आज भी अंग्रेजी का गुलाम बने हुए है। इसीलिए उन्होने देश को भी अंग्रेजी का गुलाम बनाये हुए है।
वहीं संसद की चैखट पर देश को अंग्रेजों के बाद अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त कराकर भारतीय भाषाओं को लागू करने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज ( अंग्रेज गये अंग्रेजी जाये, भारतीय भाषा राज चलायेध्वही अंग्रेजी भाषा, इंडिया नाम, आज भी भारत है गुलाम/अंग्रेजी के दलालों भारत छोड़ा, भारतीय भाषा लागू करो/अंग्रेजी में काम न हो, फिर से देश गुलाम न हो व देश के हुक्मरानों शर्म करो) अंग्रेजी की गुलामी बंद करो के गगनभेदी नारे लगाये।
71 वर्षों तक भारतीय संस्कृति की आत्मा योग को देश व विश्व से वंचित करने के षडयंत्र को तोड़ कर विश्व भर में योग से आलोकित करने का सराहनीय कार्य करने का सराहनीय कार्य किया। उसी प्रकार आप मोदी जी, योगमय भारतीय संस्कृति की कल्याणकारी गंगा को संचारित करने वाली भारतीय भाषाओं व भारत को भी अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी की बैेडियों से मुक्ति दिला कर भारत को आजादी का परचम लहराने का यथाशीघ्र ऐतिहासिक कार्य करेंगे। 21 फरवरी को भारतीय भाषा आंदोलन में आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत, महासचिव अभिराज शर्मा, कोषाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, धरना प्रभारी रामजी शुक्ला, पूर्व मंत्री धीरेन्द्र प्रताप, मोहन जोशी,खुशहाल सिंह बिष्ट,आलमदार अब्बास,स्वामी श्रीओम, संरक्षक स्वामी नारायण दास, मनमोहन शाह,आशा शुक्ला, अमित कुमार, गोपाल परिहार, रमाशंकर औझा ने भाग लिया।

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