देश स्वास्थ्य

देश में खोले जायेंगे 24 नये मेडिकल कॉलेज, 248 नर्सिंग और मिडवाइफरी स्‍कूल

मंत्रिमंडल ने स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा शिक्षा के लिए मानव संसाधनों को सुदृढ बनाने की योजना को मंजूरी दी

मेडिकल कॉलेजों में 18,058 स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर सीटें बढ़ायी जायेंगी

स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा शिक्षा को प्रोत्‍साहन देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रीमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने चालू योजना को जारी रखने तथा स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा योजनाओं के लिए 2019-20 तक 14,930.92 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से मानव संसाधन के अतिरिक्‍त चरण प्रारंभ करने की स्‍वीकृति दे दी है।

प्रमुख विशेषताएं :

ए. नये मेडिकल कॉलेज

  • 2019-20 तक चरण-। के अंतर्गत पहले से स्‍वीकृत वर्तमान जिला / रेफरल अस्‍पतालों को जोड़कर 58 नये मेडिकल कॉलेजों की स्‍थापना से संबंधित चालू योजना को जारी रखना।
  • 2021-22 तक चरण-।। के अंतर्गत वर्तमान जिला /रेफरल अस्‍पतालों से जोड़कर 24 नये मेडिकल कॉलेजों का चयन और स्‍थापना।
  • चरण-।। में प्रस्‍तावित 24 नये मेडिकल कॉलेजों के स्‍थानों का चयन चुनौती मोड में चिन्ह्ति कम सेवा वाले क्षेत्रों के अंदर किया जाएगा।

चरण-।  के दौरान केन्‍द्रीय हिस्‍से के अंतर्गत जारी योजना के लिए 5,587.68 करोड़ रूपये की राशि प्रस्‍तावित है। चरण-।। में केन्‍द्रीय हिस्‍से के रूप में 2021-22 तक 3,675 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। इसमें से 2,600 करोड़ रूपये 2019-2020 तक खर्च किये जायेंगे।

बी. मेडिकल सीटों में बढोत्‍तरी : वर्तमान राज्‍य सरकार/ केन्‍द्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों को उन्‍नत बनाने की केन्‍द्र प्रायोजित जारी योजना के परिणामस्‍वरूप  :

  • 2020-21 तक स्‍नातक (यूजी) की 10 हजार सीटों की वृद्धि तथा
  • 8,058 स्‍नातकोत्‍तर (पीजी) सीटें (2018-19 तक चरण-। में 4,058 तथा 2020-21 तक चरण-।। में 4,000)

यूजी सीटें बढ़ाने में केन्‍द्रीय हिस्‍से की राशि 7,795 करोड़ रूपये है और यह राशि 2021-22 तक खर्च की जा सकेगी। इसमें से 4,536 करोड़ रूपये की राशि 2019-20 तक खर्च की जाएगी।

चरण-।। के अंतर्गत पीजी सीटों की वृद्धि पर केन्‍द्रीय हिस्‍से के रूप में 3,024 करोड़ रूपये की राशि 2021-22 तक खर्च की जाएगी। इसमें से 1,700 करोड़ रूपये 2019-20 तक खर्च किये जायेंगे। 317.24 करोड़ रूपये की शेष केन्‍द्रीय हिस्‍से की राशि पीजी सीटों के पहले चरण के लिए खर्च की जाएगी।

सी नर्सिंग योजना :

निम्‍नलिखित की स्‍थापना के लिए योजना जारी रखना और पूरी करना :

  • 112 ऑक्सिलियरी नर्सिंग तथा मिडवाईफरी (एएनएम) स्‍कूल तथा
  • 2019-20 तक देश के कम सेवा वाले जिलों में 136 जनरल नर्सिंग मिडवाईफरी (जीएनएम) स्‍कूल।

नर्सिंग योजना 2019-20 तक 190 करोड़ रूपये से उन स्‍कूलों के लिए लागू और पूरी की जाएगी जहां कार्य प्रारंभ हो गये हैं।

प्रभाव:

नये मेडिकल कॉलेजों की स्‍थापना तथा एमबीबीएस तथा पीजी सीटों की बढ़ोत्‍तरी से

  1. स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों की उपलब्‍धता बढ़ेगी
  2. देश में मेडिकल कॉलेजों का वर्तमान भौगोलिक वितरण नियंत्रित होगा
  3. देश में किफायती चिकित्‍सा शिक्षा को प्रोत्‍साहन मिलेगा
  4. जिला अस्‍पतालों की वर्तमान आधारभूत संरचना का उपयोग होगा तथा
  5. सरकारी क्षेत्र में तृतीयक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा में सुधार होगा

प्रत्‍येक 3-5 संसदीय क्षेत्रों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज और राज्‍य में कम से कम एक सरकारी मेडिकल कॉलेज सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। यह पाया गया कि योजना के चरण-।। में 24 नये मेडिकल कॉलेजों की स्‍वीकृति की आवश्‍यकता होगी ताकि तीन संसदीय क्षेत्रों में एक मेडिकल कॉलेज हो जो  कम सेवा वाले क्षेत्रों को कवर करे। योजना के चरण-।। में नये मेडिकल कॉलेजों के लिए स्‍थानों का चयन चुनौती मोड में चिन्ह्ति ब्‍लॉकों के अंदर राज्‍य सरकारों द्वारा किया जाएगा।

लाभ :

योजना के निम्‍नलिखित लाभ होंगे :

  1. देश में एमबीबीएस की 10000 तथा पीजी की 8000 अतिरिक्‍त सीटें बनेंगी।
  2. सरकारी और निजी क्षेत्र में सीट उपलब्‍धता संख्‍या में अंतर कम होगा।
  3. सीटों की संख्‍या बढ़ने से डॉक्‍टरों /विशेषज्ञों /मेडिकल फैक्लटी की कमी दूर होगी और वांछित डॉक्‍टर आबादी अनुपात हासिल होगा।
  4. सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी शिक्षण सुविधा उन्‍नत होगी।
  5. अध्‍ययन के नये और ऊंचे पाठ्यक्रम शुरू होंगे।
  6. चिकित्‍सा शिक्षा, चिकित्‍सा अनुसंधान तथा क्‍लिनिकल इलाज की गुणवत्‍ता में सुधार होगा।

पृष्‍ठभूमि :

सतत विकास लक्ष्‍य (एसडीजी) 3 के अनुसार सभी आयु के लोगों के स्‍वस्‍थ्‍य जीवन और चिकित्‍सा देखभाल को प्रोत्‍साहित करने के लिए सतत विकास आवश्‍यक है और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) की सिफारिशों के अनुसार 1000 की आबादी  पर एक डॉक्‍टर  होना चाहिए। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में मानव संसाधनों की पर्याप्‍त उपलब्‍धता तथा स्‍वास्‍थ्‍य में मानव संसाधन (एचआरएच) के लिए डब्‍ल्‍यूएचओ के मानकों को पूरा करने के लिए योजनाओं का प्रस्‍ताव किया गया है ताकि स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में अधिक मानव संसाधन हो यानी देश में अधिक डॉक्‍टर और नर्स उपलब्‍ध हों।

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