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सेना पर पथराव /हमला करने वाले आतंकियों को देखते ही गोली न मारने के सरकार की राष्ट्रघाति नीति से बढ़ा कश्मीर आतंक

पथराव करने वाले आतंकियों से बचने के लिए गोली चलाने पर सेना पर हत्या का मामला दर्ज करना देशद्रोह कृत्य है

श्रीनगर (प्याउ)। जम्मू कश्मीर के आतंकी प्रभावित जनपद शोपियां के गनोवपुरा गांव से गुजर रहे सुरक्षा बलों के एक काफिले पर पथराव कर रही हिंसक भीड़ से बचाव के लिए सुरक्षा बलों द्वारा आत्मरक्षा में गोली चलाये  दो हमलावर मारे गये व कई घायल हो गये। सबसे हैरानी की बात यह है कि सेना पर हमलावर को पकड़ कर दण्डित करने के बजाय जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार ने सेना की इस टुकडी पर ही हत्या का मामला दर्ज कर दिया है। इससे देशभक्तों में गहरा आक्रोश है।
सेना के सुत्रों के अनुसार  जवानों ने तब गोलियां चलायीं जब भीड़ ने एक जूनियर कमीशंड अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या करने की कोशिश की और उनका हथियार छीन लिया। सेना की आत्मरक्षा की इस कार्यवाही में हमलावर जावेद अहमद भट और सुहैल जावेद लोन की अस्पताल ले जाते समयं मौत हो गयी। इस घटना के बाद पाक समर्थक तत्वों ने आतंकियों के साथ मिल कर  28 जनवरी को को विरोध में कश्मीर बंद का आह्वान किया है।
आतंकी व हमलावरों पर नरम रूख अपनाने के लिए जानी जाने वाली जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस घटना की जांच के आदेश दिये है।
वहीं कश्मीर मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में सरकार के हमलावर आतंकियों पर देखते ही गोली न मारने के सरकार की आत्मघाती नीति से कश्मीर में आतंकियों को मनोबल बढ़ कर आतंकी घटनाओं की बाढ़ सी आयी है। शोपियों में सेना की एक टुकडी पर अचानक किया गया पत्थराव, हमलावरों पर गोली चलाने से दो हमलावर मारे गये कई घायल हो गये।  सेना का मनोबल गिराने व कश्मीर में भारतीय सेना को कमजोर करने के तहत ही आतंकियों  की रणनीति के तहत ही आतंकी, सेना पर पथराव करते है। क्योंकि उनको मालुम है कि सेना पर भी पथराव  करने से सेना उनको गोली नहीं मारेगी। इसी से आतंकियों ने सेना पर बार बार पत्थराव करने की घटनाओं में इजाफा हो गया है। आतंकियों की इसी रणनीति की सफलता का ये उदाहरण है गोली न चलने के भय न होने के कारण छात्र व छात्राओं को भी आतंकी पथराव के लिए सडकों पर उतारने में सफल रहे। सरकार की इस कमजोर नीति के कारण देश के सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा और आतंकियों के दिलों में सुरक्षा बलो का खौप खत्म हो गया।
सरकारों को चाहिए कि तत्काल ऐसा ऐलान किया जाय कि सेना पर पथराव/हमला करने वाले हर आतंकी को देखते ही गोली मारी जायेगी तो इससे गुमराह बच्चों के परिजन अपने बच्चों को इस  प्रकार की घटनाओं में सम्मलित होने से रौंकेंगे। नहीं तो इस प्रकार की घटनाओं में निरंतर इजाफा होगा।

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