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प्रवासियों को अपने पूर्वजों की धरती में देख कर पूर्वजों की आत्मा प्रसन्न होगीः प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने किया प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन में 20 देशों के 124 सांसदों व 17 मेयरों को किया स्वागत

नई दिल्ली (प्याउ)। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन में पधारे दुनिया के 20 देशों के 124 सांसदों व 17 मेयरों का खुले दिल से स्वागत करते हुए कहा कि सवा सो करोड़ भारतीयों की तरफ से मैं आपका स्वागत करता हॅू। आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं। वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर बहुत खुश होंगे। सैकड़ों वर्षों के कालखंड में भारत से जो भी लोग बाहर गए, भारत उनके मन से कभी बाहर नहीं निकला।
इस सम्मेलन का आयोजन विदेश मंत्रालय ने किया। स कार्यक्रम का आयोजन विदेश मंत्रालय कर रहा है और पहली बार हो रहे भारतीय मूल के सांसदों के इस सम्मेलन में भाग लेने सबसे ज्यादा प्रतिनिधि गुयाना, फिजी, सूरीनाम, मॉरिशस जैसे गिरमिटिया मुल्कों से आ रहे हैं।

इसमें सबसे ज्यादा 20 सांसद और तीन मेयर गुयाना से भाग लेंगे, त्रिनिदाद और टोबेगो के 16 सांसद और चार मेयर शामिल हो रहे हैं। ब्रिटेन की संसद में भारतीय मूल के सभी 15 सांसद और एक मेयर कार्यक्रम में शरीक हो रहे हैं। भारतीय मूल के लोग दुनिया के कई देशों में हैं और इनके दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस समय दुनिया के 30 मुल्कों में 270 से ज्यादा भारतीय सांसद हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन का उदघाटन करते हुए कहा कि राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक लघु विश्व संसद मेरे सामने उपस्थित है। आपको देख व सुन कर भारतीयों को गर्व होता है।
आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में देश का नेतृत्व कर रहे हैं और सरकार का भी नेतृत्व कर चुके हैं।
प्रवासी भारतीय ने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, वहीं पूरी तरह एकीकृत हो कर, उस जगह को अपना घर बना लिया. उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए।
मैं जब भी किसी देश की यात्रा करता हूँ, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से मिलूं। मैं मानता हूँ कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई स्थायी दूत है तो वो भारतीय मूल के लोग हैं।
आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं. आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है. हम पर फोकस बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, ट्रांस्फोर्म हो रहा है.
पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदल गया है। हम पर फोकस बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, परिवर्तन हो रहा है। हम प्रवासी भारतीयों को अपने विकास का सहयोगी मानते है। भारत के विकास से प्रवासी भारतीयों की भी प्रतिष्ठा बढ़ता है। नीति आयोग ने भी प्रवासी भारतीयों को विशेष स्थान दिया है।

प्रधानमंत्री से पहले प्रवासी सांसदों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस आयोजन करने का मूल मंत्र देने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया। श्रीमती स्वराज ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के लिए इसी दिन को इसलिए चुना क्योंकि महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से साल 1915 में स्वदेश वापस लौटे थे। महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है जिन्होने न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया अपितु भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री से पहले विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह व बाद में विदेश राज्य मंत्री एम जी अकबर ने संबोधन किया। विदेश मंत्री स्वराज ने जानकारी दी कि विश्व के कई भागों में प्रतिकुल मौसम के कारण उपस्थित न हो पाये।

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