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आजाद देश में विदेशी भाषा (अंग्रेजी) की गुलामी थोपना, देश के साथ गद्दारी हैः भारतीय भाषा आंदोलन

नई दिल्ली(प्याउ)। आजाद देश में विदेशी भाषा (अंग्रेजी) की गुलामी थोपना, देश के साथ गद्दारी है।यह ऐलान भारतीय भाषा आंदोलन के आंदोलनकारियों ने शहीदी पार्क में देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करके भारतीय भाषाओं को लागू करने का संकल्प लिया।
गौरतलब है कि 4जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित शहीदी पार्क में भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज शहीदी पार्क में अमर शहीद भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव की मूर्ति के सामने , देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने व भारतीय भाषाओं को लागू करने के लिए शपथ ले रहे थे।
गौरतलब है कि भारतीय भाषा आंदोलन इसी मांग को लेकर विगत 57माह से आजादी की जंग छेड़े हुए हैं।

भारतीय भाषा आंदोलन ने अपनी मांगों को लेकर। कई बार ज्ञापन देने चूके हैं। परन्तु 71सालों से देश को बलात अंग्रेजी का गुलामी थोपने वाले हुक्मरानों ने गुलामी का कलंक मिटाने का काम करने के बजाय भारतीय भाषा आंदोलन का दमन करने का अलोकतांत्रिक कृत्य कर रही है।इसके बावजूद भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज देश की आजादी के लिए समर्पित है। भारतीय भाषा आंदोलन की मांग है कि देश में शिक्षा रोजगार न्याय व शासन सहित पूरी व्यवस्था को अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं में संचालित किया जाय।
4जनवरी को शहीदी पार्क में सम्मलित भारतीय भाषा आंदोलनकारियों में भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देव सिंह रावत, धरना प्रभारी रामजी शुक्ला, सुनीता चैधरी, अनिल कुमार पंत, आशा शुक्ला,स्वामी श्रीओम, वेदानंद, महेन्द्र सिंह रावत, आलम दार अब्बास आदि थे। भारतीय भाषा आंदोलन में पदम सिंह बिष्ट, महासचिव अभिराज शर्मा, मोहन जोशी, मोहन रावत की भी भागेदारी  बनी रहती है।

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