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आस्ट्रेलिया फुटबाल खेलने गयी गरीब स्कूली छात्रा नितीशा नेगी की सुध क्यों नहीं ले रहा है विदेश मंत्रालय व सुषमा स्वराज

गरीब परिवार की सुध लेने की होश नहीं है मोदी, केजरी व त्रिवेन्द्र सरकारों को

 

स्कूल गेम्स ऑफ फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से आस्ट्रेलिया में हुए पैन पैसिफिक एशियन गेम्स मे सम्मलित होने गयी दिल्ली की प्रतिभाशाली फुटबाल खिलाडी नितीशा नेगी की समुद्र में डूबने से दर्दनाक मौत

स्कूल गेम्स ऑफ फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से पैन पैसिफिक एशियन गेम्स में शामिल होने दिल्ली  की पूर्वी विनोद नगर  के राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय की 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली 17 वर्षीया होनहार खिलाडी नितीशा नेगी अपनी टीम के साथ आस्ट्रेलिया गयी थी। बताया जा रहा है कि वहां समुंद्र में ंडूबने से उसकी मौत हो गयी। अपनी लाडली के आकस्मिक निधन से इस प्रतिभाशाली फुटबाल खिलाड़ी का पूर्वी दिल्ली के खिचड़ीपुर मोहल्ले के ब्लॉक-4 में रहने वाले उसके गरीब पिता पूरन सिंह नेगी व  परिवार सदमें है।  अभी तक उसका शव परिजनों तक नहीं मिला।

लोग इस बात के लिए हैरान है कि अभी तक भारतीय विदेश मंत्रालय इस बड़े हादसे पर मूक बेठा हुआ है। ट्विटर पर एक संदेश से विदेश में विपत्ति में फंसे भारतीयों की सुध लेने की खबरों में छाये रहनी वाली भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व उनका विदेश मंत्रालय इतनी बड़ी घटना पर मौन साधे हुए है। आखिर आस्ट्रेलिया स्थित भारतीय उच्चायोग का काम क्या है? क्या सुषमा स्वराज, विदेश मंत्रालय, दिल्ली व उत्तराखण्ड की सरकारें केवल अमीर व अपने लोगों की सुध लेते है। आम जनता की सुध कौन लेगा?

उनके परिजनों को मिलने गये समाजसेवी डा विनोद बछेती के अनुसार अभी तक स्कूल गेम्स ऑफ फेडरेशन आफ इंडिया न तो उसका शव ही भारत ला कर उनके परिजनों तक सौंपने का काम किया व नहीं शोक संतप्त गरीब परिजनों को ही आस्टेªलिया ले गया। दिवंगत खिलाड़ी का परिवार गरीब हैं। उत्तराखण्ड मूल (ग्राम मल्ली रिगोली लोसतु बड़ियारगढ, टिहरी)के पूरण सिंह नेगी दिल्ली में किसी निजी कम्पनी में काम करके किसी तरह अपने परिजनों का भरण पोषण करते है।
दिवंगत खिलाडी के पिता पूरण सिंह सहित उनके परिजन  इस घटना के लिए बच्चों के साथ गए अधिकारियों और कोच को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अधिकारियों की घोर लापरवाही के चलते ही यह हादसा हुआ। अगर बच्चे गहरे समुद्र में जा रहे थे तो उन्होने उन्हें रोका क्यों नहीं। पूरे परिवार को ही नहीं उसके विद्यालय को अपनी इस प्रतिभाशाली फुटबाल खिलाड़ी से बड़ी आशा थी। देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में यह मामला उजागर होने के बाबजूद न भारत सरकार व नहीं दिल्ली व उत्तराखण्ड सरकार ने इस मामले में अपने दायित्व का निर्वहन किया। नहीं दिवंगत परिजनों की सुध ली।

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