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अलविदा शशि कपूर! खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने को …..

सदाबहार अभिनेता, निर्देशक व निर्माता शशिकपूर निधन

खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने को .….
एक रास्ता है जिंदगी जो थम गये तो कुछ नहीं …
परदेशियों से न दिल को लगानाा……..
यहां मैं अजनबी हॅू, मैं जो हॅू वही हॅू…
मुझे छू रही है तेरी नरम सांसे ……
अे यार तेरी यारी तेरी……
जैसे कालजयी गीतों

 मेरे पास माॅं है जैसे संवाद के सदाबहार, जिंदा दिल हंसमुख  अभिनेता शशि कपूर
के निधन पर उनकी फिल्मों -संवादों की पावन स्मृति को प्यारा उत्तराखण्ड का शतः शतः नमन् ।

4 नवम्बर की सांयकाल को भारतीय फिल्मी जगत के धवल आकाश का चमकता हुआ 79 वर्षीय सदाबहार सितारा शशि कपूर टूट गया।  फिल्मी दुनिया के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, नेशनल अवॉर्ड और पद्म भूषण के अवॉर्ड से सम्मानित महान कलाकार शशि कपूर का का मुम्बई के कोकिला बेन चिकित्सालय में अंतिम संास ली। उनके निधन की खबर सुनते ही भारतीय फिल्मी जगत में शोक छा गया।
शशि  कपूर ,भारतीय फिल्म जगत के महान कलाकार व निर्माता पृथ्वीराज कपूर व रामसरनी कपूर के पुत्र के रूप में  18 मार्च, 1938 को कलकत्ता, में पैदा हुए। शशि  कपूर पृथ्वीराज के चार बच्चों में सबसे छोटे थे। शशि कपूर हिन्दी फिल्मों में लोकप्रिय कपूर परिवार के सदस्य हैं। वर्ष २०११ में उनको भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष २०१५ में उनको २०१४ के दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। इस तरह से वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर के बाद यह सम्मान पाने वाले कपूर परिवार के तीसरे सदस्य बन गये।
आकर्षक व्यक्तित्व वाले शशि कपूर के बचपन का नाम बलबीर राज कपूर था। बचपन से ही एक्टिंग के शौकीन शशि स्कूल में नाटकों में हिस्सा लेना चाहते थे। उनकी यह इच्छा वहां तो कभी पूरी नहीं हुई, लेकिन उन्हें यह मौका अपने पिता के पृथ्वी थियेटर्स में मिला।
शशि कपूर ने अभिनय में अपना करियर 1944 में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के नाटक शकुंतला से शुरू किया था। उन्होंने फिल्मों में भी अपने एक्टिंग की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी। शशि कपूर ने ४० के दशक से ही फिल्मो में कम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कई धार्मिक फिल्मो में भूमिकाये निभाई। इन्होने मुंबई के डोन बोस्की सकूल से पदाई पूरी की। पिता पृथ्वीराज कपूर इनको छुटिट्यो के दोरान स्टेज पर अभिनय करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। इसकी का नतीजा रहा की शशि कपूर के बड़े भाई राजकपूर ने उन्हें आग (१९४८) और आवारा (१९५१) में भूमिकाएं दी। आवारा में उन्होंने राजकपूर (जय रुद्) बचपन का रोल किया था। ५० के दशक मे पिता की सलाह पर वे गोद्फ्रे कैंडल के थियेटर ग्रुप शेक्स्पियाराना में शामिल हो गए और उसके साथ दुनिया भर में यात्राये की। इसी दोरान गोद्फ्रे की बेटी और ब्रिटिश अभिनेत्री जेनिफर से उन्हें प्रेम हुआ और मात्र २० वर्ष की उम्र में १९५० में विवाह कर लिया। उनके तीन बच्चे कुणाल कपूर, करन कपूर व  संजना कपूर हैं।
शशि कपूर ने गैर परम्परागत किस्म की भूमिकाओ के साथ सिनेमा के परदे पर आगाज किया था। उन्होंने सांप्रदायिक दंगो पर आधारित धर्मपुत्र (१९६१) में काम किया था। उसके बाद चार दीवारी और प्रेमपत्र, जैसी ऑफ बीत फिल्मो में नजर आये। वे हिंदी सिनेमा के पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने हाउसहोल्डर और शेक्सपियर वाला जैसी अंग्रेजी फिल्मो में मुख्य भूमिकाये निभाई। वर्ष १९६५ उनके लिए एक महत्वपूर्ण साल था। इसी साल उनकी पहली जुबली फिल्म जब जब फूल खिले रिलीज हुई और यश चोपड़ा ने उन्हें भारत की पहली बहुल अभिनेताओ वाली हिंदी फिल्म वक्त के लिए कास्ट किया। बॉक्स ऑफिस पर लगातार दो बड़ी हिट फिल्मो के बाद व्यावहारिकता का तकाजा यह था की शशि  कपूर परम्परागत भूमिकाये करे, लेकिन उनके अन्दर का अभिनेता इसके लिए तैयार नहीं था। इसके बाद उन्होंने ए मत्तेर ऑफ इन्नोसेंस और प्रीटी परली ६७ जसी फिल्मे की। वहीँ हसीना मन जाएगी, प्यार का मोसम ने उन्हें एक चोकलेटी हीरो के रूप में स्थापित किया। वर्ष १९७२ की फिल्म सिथार्थ के साथ उन्होंने अन्तराष्ट्रीय सिनेमा के मंच पर अपनी मोजुदगी कायक रखी। ७० के दसक में शशि  कपूर सबसे व्यस्त अभिनेताओ में से एक थे। इसी दशक में उनकी चोर मचाये शोर, दीवार, कभी – कभी, दूसरा आदमी और सत्यम शिवम् सुन्दरमश् जैसी हिट फिल्मे रिलीज हुयी. वर्ष १९७१ में पिता पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद शशि कपूर ने जेनिफर के साथ मिलकर पिता के स्वप्न को जारी रखने के लिए मुंबई में पृथ्वी थियेटर का पुनरूथान किया। शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ उनकी बहुत ही लोकप्रिय जोड़ी रही। अमित जी के साथ उनकी फिल्मो दीवार, कभी – कभी, त्रिशूल, सिलसिला, नमक हलाल, दो और दो पांच, शान ने भी उन्हें बहुत लोकप्रियता दिलवाई। १९७७ में इन्होने अपनी होम प्रोडक्सन एक फिल्म्वालाज लॉन्च की।
शशि कपूर भारत के पहले ऐसे एक्टर्स में से एक हैं। जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया। इनमें हाउसहोल्डर, शेक्सपियर वाला, बॉम्बे टॉकीज, तथा हीट एंड डस्ट जैसी फिल्में शामिल हैं।
प्रधानमंत्री से लेकर फिल्मी दुनिया के तमाम कलाकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। शशि कपूर 61 फिल्मों में हीरो रहे और 116 में छाये रहे। दिवंगत शशि कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर ,भाईयों राजकपूर व शमी कपूर तथा भतीजे शशि कपूर, रणधीर कपूर व राजीव कपूर के विषाल फिल्मी परिवार के सबसे चमकते सितारे थे।
भले ही भारतीय फिल्मी दुनिया के सदाबाहार अभिनेता, निर्देशक व निर्माता शशि कपूर दुनिया को अलविदा कह गये हों पर अपनी बेहतरीन अभिनय,  दिल को छू लेने वाले संवाद, निश्छल मुस्कान लम्बे समय तक उनके प्रसंशकों के दिलों में जिंदा रहेंगे।

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