उत्तराखंड

शहीदों के सपनों का साकार करने की बात करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने गैरसैंण, मुजफ्फरनगर काण्ड पर रखा मौन

राजधानी गैरसैंण, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के दोषियों को सजा देने व प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा करने पर रहे मौन

आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण की समय सीमा 31 दिसम्बर तक बढ़ाने का ऐलान

राज्य स्थापना दिवस पर राज्य गठन की तमाम सरकारों को राज्य गठन की तमाम जनांकांक्षाओं को जमीदोज करने के लिए कटघरे में रखते हुए राज्य गठन के वरिष्ठ  आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने किया संसद की चौखट जंतर मंतर से शहीद भगत सिंह, राजगुरू,सुखदेव की मूर्ति(शहीदी पार्क ) तक पदयात्रा कर लिया राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने का संकल्प

देहरादून(प्याउ)।  उत्तराखण्ड राज्य गठन के 18 वें स्थापना दिवस के अवसर पर जहां एक तरफ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत देहरादून में वादा किया कि उनकी सरकार राज्य गठन के शहीदों के सारे सपनों को साकार करेगी। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में राज्य गठन के वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने प्रदेश की अब तक की तमाम सरकारों पर राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को जमीदोज करने का आरोप लगाते हुए संसद की चौखट जंतर मंतर से शहीद भगत सिंह, राजगुरू,सुखदेव की मूर्ति(शहीदी पार्क ) तक पदयात्रा कर लिया राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने का संकल्प लेते हुए शहीदों व आंदोलनकारियों की स्मृति को नमन् किया।
राज्य स्थापना दिवस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भले ही शहीदों के सारे सपनों को साकार करने का आश्वासन प्रदेश की जनता को देते हुए अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियों को विस्तार से उल्लेख कर रहे थे परन्तु उनकी जुबान पर राज्य गठन की उन प्रमुख जनांकांक्षायें जिसके लिए आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी उस राजधानी गैरसैंण बनाने, शहीदों के कातिलों को सजा दिलाने, प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा करने के लिए अन्य हिमालयी राज्यों की तरह का भू कानून बनाने के मुद्दों पर शर्मनाक मौन साधे रहे।
हाॅ चिन्हीकरण से वंचित रह गये आंदोलनकारियों के चयन के लिए अतिम समय सीमा 31 दिसम्बर तक बढ़ाने का अवश्य ऐलान कर गये।
वहीं देहरादून में राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 9 नवम्बर की सुबह को कचहरी स्थित शहीद स्थल पहुंचकर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने के मामले की समीक्षा की जाएगी। यह मामला न्यायालय में भी लंबित है। राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया को आगामी 31 दिसंबर तक बढ़ाने का ऐलान किया।

सूचना भवन में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने  राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग की विकास पुस्तिका ‘‘संकल्प से सिद्धि तक’ के विमोचन करते हुए कहा कि  राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप प्रदेश सरकार राज्य के विकास का रोड़ मैप तैयार कर रही है। इसके लिएविजन 2020 के तहत कार्ययोजना बनायी जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना की 17वीं वर्षगाठ की बधाई देते हुए राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप राज्य का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए सस्ती दर पर ऋण देने का वादे पर काम शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी 7 महीने की सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2022 तक देश के प्रत्येक नागरिक को आवास और भोजन उपलब्ध कराने का की योजना को प्रदेश में साकार करने जा रही है। प्रदेश में 2.50 लाख रूपये  से कम आय वाले उज्जवला योजना से वंचित परिवारों को अब मुफ्त में गैस कनेक्शन देने का निर्देश दिया जा चूका है।

वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में उत्तराखण्ड राज्य के 18वें स्थापना दिवस (9नवम्बर)के अवसर पर राज्य राज्य गठन की ऐतिहासिक संघर्ष की भूमि संसद की चौखट जंतर-मंतर से शहीद पार्क तक पद यात्रा राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने की। राज्य गठन के 1994 से राज्य गठन तक 2000 तक संसद की चैखट पर ऐतिहासिक धरना आंदोलन करने वाले उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने राज्य गठन के संघर्ष की तपोभूमि जंतर मंतर को नमन करते हुए राज्य गठन के सभी शहीदों व राज्य गठन आंदोलनकारियों की पावन स्मृति को शतः शतः नमन करते हुए उत्तराखण्ड राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को जमीदोज करने वाले इन 17 सालों के प्रदेश के हुक्मरानों को धिक्कार लगाते हुए प्रदेश की जनता से आवाहन किया कि इस पावन दिवस पर वे राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने का संकल्प लें। फेसबुक से प्रदेश की जनता से एक सीधे आवाहन करते हुए श्री रावत ने कहा कि
आओ राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को
(क) राजधानी गैरसैंण बनाने
(ख) हिमाचल सहित अन्य हिमालयी राज्यों की तरह भू कानून बनाने
(ग) जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन को रद्द करने
ंड़) प्रदेश से भू, जल, वन, शराब, शासन,जातिवाद, क्षेत्रवाद के माफियाओं से मुक्त कर विकासोनुमुख सुशासन स्थापित करना।

साकार करने के लिए दलगत राजनीति से उपर उठ कर उत्तराखण्ड की रक्षा के लिए संकल्प ले कर उत्तराखण्ड को देश को आदर्श राज्य बनायें।  यह संकल्प भले अकेले लिया गया पर सोशल मीडिया में सैकडों लोगों ने इसमें भागेदारी निभाई।

प्रदेश में ही नहीं देश के विभिन्न शहरों में राज्य स्थापना दिवस के दिन बडे बडे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता। बडे स्तर पर नाच गाने व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते परन्तु इन किसी भी कार्यक्रमों में उन्हीं मंत्री व नेताओं को प्रमुखता से आमंत्रित किये जाते हैं जिन्होने राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को जमीदोज किया। जिन्होने शहीदों के सपनों को निर्ममता से रौंदा। इन कार्यक्रमों में राज्य गठन के समर्पित आंदोलनकारियों को प्रमुखता से आंमंत्रित तक नहीं किया जाता। असल में ऐसे कार्यक्रम भी प्रायः इन्हीं राजनैतिक दलों के चम्पुओं या प्रदेश की हकीकत से अनजान समाज में मठाधीश या बजट की बंदरबांट करने वाले लोगों ं द्वारा की जाती।

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