उत्तराखंड

राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले के मगरमच्छो पर कस पायेगा क्या शिकंजा?

17 सालों से सैकडों घोटालो की हुई जांच में किसी भी बडे नेता व नौकरशाह को नहीं हुई सजा

केवल कुछ समय के लिए छोटी मच्छलियों को पकड़ कर बडे मगरमच्छों का खेला जा रहा है खेल

रूद्रपुर (प्याउ)। भाजपा सरकार की गले की हड्डी सी बनी राष्ट्रीय राजमार्ग -74 घोटाले में इस सप्ताह एसआईटी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एसआईटी ने निलंबित एसडीएम, प्रभारी तहसीलदार काशीपुर समेत आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया है।

परन्तु प्रदेश सहित देश के जागरूक लोगों की जुबान पर उपजिलाधिकारी सहित आठ आरोपियों की गिरफ्तारी पर एक ही सवाल है कि क्या इस करोड़ों के घोटाले के असली मगरमच्छों पर शिकंजा कस पायेगा।

इस घोटाले में जहां भाजपा में ही घमासान मचा हुआ है। वहीं कांग्रेसी चाहते हैं कि इस घोटाले की खुली जांच हो। इस प्रकरण में भाजपाई नेताओं की असहज स्थिति को भांप कर इस प्रकरण की जांच की सीबीआई की जांच कराये जाने के ऐलान के बाबजूद अभी तक सीबीआई ने इस प्रकरण के गुनाहगारों को शिकंजे में कसने की मजबूत पहल तक नहीं कर पायी है। खासकर इस प्रकरण में जिस प्रकार केन्द्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री गडकरी के पत्र से प्रदेश के सियासी जगत में जो तूफान उठा था उससे भाजपा की न केवल प्रदेश स्तर पर अपितु राष्ट्रीय पटल पर भी काफी किरकिरी हुई थी।

इस प्रकरण में जिम्मेदार राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों को क्यों जांच के घेरे में नहीं लाना चाहते है केन्द्रीय मंत्री। जबकि उस समय सरकार प्रदेश में कांग्रेस की थी। आखिर उस समय के कांग्रेसी सरकार में प्रभावशाली नेताओं के शह के बिना इतना बड़ा घोटाला अकेले अधिकारी नहीं कर सकते। दलों की दल दल में उलझे प्रदेश के विकास की बंदरबांट करने वालों का हौशला ऐसे ही प्रकरणों से अधिक बढ़ जाता है। सरकारें किसी की भी रहे भष्ट्राचारी प्रदेश को खोखला करने में लगे हैं। इस प्रकरण से जनता में मन में एक ही संदेह मजबूत होता है कि विकास पर भ्रष्टाचार की सेंघ लगाने के लिए दलों की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है। केवल छोटी मच्छलियों को इस लिए दबोचा जाता है जिससे लोगों को लगे कार्यवाही हो रही है। बाद में मगरमच्छ उनको भी बचा लेते है। प्रदेश मेें जबसे राज्य बना कांग्रेस व भाजपा के शासन में हुए घोटालों की जांच के लिए सैकडों जांच चली परन्तु एक ही बडे नेता व बडे नौकरशाह को सजा नहीं मिली। इससे लगता है कि प्रदेश गठन के बाद यह विकास के नाम पर बंदरबांट करने का खेल ही चल रहा है।भाजपा व प्रदेश सरकार को बार बार इस घोटाले के दोषियों को सजा देने का आश्वासन देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

भले ही इस काण्ड की जांच खुद मुख्यमंत्री ने सीबीआई से कराने की घोषणा की थी। परन्तु एसआईटी ने अपनी जांच तेज कर निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया पुत्र पान सिंह निवासी देहरादून, निलंबित संग्रह अमीन अनिल कुमार पुत्र मुनीम सिंह निवासी जसपुर, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पडलिया पुत्र कृष्ण पडलिया निवासी हल्द्वानी,सेवानिवृत प्रभारी तहसीलदार जसपुर भोलेलाल पुत्र मल्लू लाल निवासी किच्छा, अनुसेवक तहसील जसपुर रामसमुझ पुत्र दूधनाथ निवासी रुद्रपुर, स्टाम्प वेंडर जीशान पुत्र जलाल अहमद निवासी काशीपुर, किसान चरण सिंह निवासी जसपुर व किसान ओम प्रकाश पुत्र चैधरी निवासी जसपुर को गिरफ्तार किया है।जिन्हें भारी पुलिस सुरक्षा में जिला अस्पताल में चिकित्सा परीक्षण करा कर जिला न्यायालय में पेश किया गया। इसके अलावा एसआईटी फरार पूर्व एसएलओं की गिरफ्तारी को भी जगह-जगह दबिश देने के साथ ही उसके खिलाफ कोर्ट से गैरजमानती वांरट लेने की तैयारी कर रही है।
पुलिस का आरोप है कि आरोपितों ने तत्कालीन एसएलएओ डीपी सिंह के साथ मिलीभगत कर गलत रिपोर्ट प्रेषित कर कूटरचित दस्तावेजों और नियमो की अनदेखी कर बैक डेट पर 143, जेड और एलआर एक्ट के कार्यवाही कर आपराधिक षडयंत्र कर नेशनल हाइवे 74 में आने वाली भूमि की प्रकृति बदल कर अवैध धन अर्जित करने के उद्देश्य से करोड़ो रुपये का गलत मुआवजा भुगतान प्राप्त कराया गया जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।पुलिस का कहना है की इस मामले में तत्कालीन एसएलएओ डीपी सिंह फरार है जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे है, उनका कहना है इस मामले में विवेचना चल रही है। तहसील बाजपुर, गदरपुर, किच्छा, सितारगंज के संदिध मामलों की भी जांच चल रही है। एसआईटी की इस कार्यवाही से मुआवजा लेने वाले किसानों के साथ-साथ इससे जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
गौरतलब है कि कुमाऊं आयुक्त सेंथिल पांडियन द्वारा एनएच 74 घोटाले की जांच के बाद 300 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की बात सामने आई थी, जिस पर अपर जिलाधिकारी प्रताप शाह ने 10 मार्च को थाना पंतनगर में मुकदमा दर्ज कराया गया था जिस पर शासन ने एसआईटी का गठन कर जांच शुरू की थी।
लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है कि क्या इस करोड़ों के घोटाले के असली मगरमच्छों पर शिकंजा कस पायेगा।

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