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राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए उत्तराखण्डियों ने लगाई 30 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी से गुहार, दिया जंतर मंतर पर धरना

 

नई दिल्ली(प्याउ)। उत्तराखण्ड राज्य गठन के 17 साल बाद भी प्रदेश की जनता की सर्वसम्मत ‘राजधानी गैरसैंण गठन करने में जब प्रदेश की तमाम सरकारें असफल रही तो उत्तराखण्ड के आंदोलनकारियों व समाजसेवियों ने 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजधानी गैरसैंण बनाने की गुहार लगाते हुए जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना दिया। दलगत राजनीति से उपर उठ कर सभी दलों से जुडे लोगों ने गैरसैंण को राज्य गठन की जनांकांक्षाओं , लोकशाही व प्रदेश के चहुमुखी विकास का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री से राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग करते हुए ज्ञापन भी दिया। देश के इस चीन से लगे प्रदेश की सीमाओं से हो रहा पलायन देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही घातक है। आंदोलनकारियों ने कहा की प्रदेश की जनता ने जो अभूतपूर्व जनादेश दिया वह प्रदेश की इस जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास करके ही दिया है। प्रदेश की जनता को आशा है कि प्रधानमंत्री जनता के विश्वास के साथ शहीदों की शहादत का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करेंगे।
30 जुलाई को उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के बेनर तले बडी संख्या में उत्तराखण्डी जंतर मंतर पर एकत्रित हो कर राज्य गठन आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए राजधानी गैरसैंण गैरसैंण के समर्थन में गगनभेदी नारे लगाते रहे। प्रधानमंत्री मोदी वादा निभाओं गैरसैंण राजधानी बनाओ!/शहीदों का यही अरमान, राजधानी गैरसैंण/ पलायन का एक ही समाधान राजधानी गैरसैंण!/ लोकशाही का सम्मान करो राजधानी गैरसैंण बनाओ के गगनभेदी नारे लगाये।
प्रधानमंत्री मोदी को दिये गये ज्ञापन में प्रधानमंत्री को स्मरण कराया गया कि 9 नवम्बर 2000 में राजग की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा गठित उत्तराखण्ड राज्य के गठन हुए 17 साल हो गये हैं परन्तु इन 17 सालों में प्रदेश की सरकारों ने राज्य गठन जनांदोलन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय उसको निर्ममता से रौंदने का ही कृत्य किया। इसका सबसे जीवंत उदाहरण है राज्य गठन के समय सर्वसम्मति से जनता व आंदोलनकारियों द्वारा एक मत से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण को बनाने में अब तक की सभी सरकारें असफल रही है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वसम्मत मांग ‘ राजधानी गैरसैंण’ को बलात नजरांदाज करके बलात देहरादून में राजधानी थोपी गयी। प्रदेश की राजधानी गैरसैंण न बनाये जाने से और पंचतारा सुविधा भोगी नेताओं व नौकरशाहों ने षडयंत्र कर बलात देहरादून से शासन संचालित किये जाने के कारण, प्रदेश गठन की मांग करने वाले सभी पर्वतीय जनपदों में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन से वंचित सा हो गये है, जिस कारण यह देश का चीन सीमा से लगा उत्तराखण्ड प्रदेश में पलायन की गंभीर समस्या से ग्रसित हो कर प्रदेश उजड़ने के कगार पर है। राज्य गठन जनांदोलन में जो शहादतें व संघर्ष किया गया वह गैरसैंण राजधानी के लिए भी था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी प्रदेश की सरकारों को इसलिए कटघरे में खडा किया है।
उससेे राज्य गठन की मांग के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले अग्रणी आंदोलनकारियों व इस आंदोलन में समर्पित प्रदेष की लाखों लाख जनता प्रदेश के शासकों द्वारा जनभावना का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय बलात देहरादून में राजधानी थोपने से ठगा सा महसूस कर रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखण्ड की छली व आहत जनता आपसे गुहार लगाने के लिए 30 जुलाई को दिल्ली में संसद की चैखट जंतर मंतर पर गैरसैंण सहित अन्य मांगों को लेकर आपसे गुहार लगा रहे है। राजधानी गैरसैंण के अलावा उप्र के साथ परिसम्पतियों का बंटवारे, मुजफ्फरनगर काण्ड सहित राज्य गठन आंदोलन को रौंदने वाले गुनाहगारों को सजा दिलाने, हिमाचल सहित हिमालयी राज्यों की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भू कानून बनाने व दिल्ली में राज्य गठन आंदोलन के चयनित आंदोलनकारियों को चिन्हीकरण करने आदि मांगों को लेकर आपसे इस आश से गुहार लगा रही है कि आप जनता के विश्वास की रक्षा करते हुए प्रदेश सरकार को उपरोक्त जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगें।
राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए सभी आंदोलनकारी ताकतें उक्रांद, भाजपा, कांग्रेस,वामपंथी आदि आंदोलनकारी संगठन जो दलगत लक्ष्मण रेखाओं को दर किनारा करके गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए एकजूट हो कर आंदोलन में भाग ले रहे है। इस आंदोलन को संसद की चैखट से उत्तराखण्ड की सडकों पर उतारने के लिए आंदोलनकारी मन बना चूके है।
गैरसैंण राजधानी बनाओं धरने में समर्पित राज्य गठन आंदोलनकारियों में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत, उत्तराखण्ड महासभा के अनिल पंत, उत्तराखण्ड क्रांतिदल के प्रताप शाही, खुशहाल सिंह बिष्ट,उत्तराखण्ड लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती,उत्तराखण्ड जनमोर्चा के रविन्द्र बिष्ट, पूर्व दर्जाधारी मंत्री धीरेंद्र प्रताप व इंजीनियर गणेश चंद्रा, रोशनी चमोली, प्रेमा धोनी, सुषमा नेगी, लक्ष्मी बिष्ट, बबीता नेेेगी,भारतीय मजदूर संघ के बिक्रम रावत, वरिष्ठ पत्रकार अवतार नेगी,व्योमेश जुगरान, योगेश भट्ट,व सतेंद्र सिंह रावत, दलवीर रावत,एस एन बसलियाल, कर्ण बुटोला, सुरेश कोली,मोहन लाल लसिवाल, खीमसिंह रावत, शूरवीर सिंह बत्र्वाल, मनोहर सिंह बिष्ट, हीरासिंह रौतेला, संतोष पाण्डे, अभिराज शर्मा, राजेश सिंह राणा, जोगेन्द्र राणा, दिनेश चंद्र, ध्यानसिंह रावत, पृथ्वी रावत, विजय सिंह गुसांई, वीपी भट्ट, पीएस राणा,  गोपाल सिंह कठैत, अमर भण्डारी, सुरेश ढौडियाल, अशोक रावत, एस एन भट्ट, महिपाल भवन, जे एस भवाडी, महिपाल, महेन्द्र राणा, विजेश यादव, बीएस नेगी, कमल किशोर भट्ट, हरीश प्रकाश, सुदर्शन नेगी,कमल किशोर नोटियाल, गंभीर सिंह नेगी, भाजपा नेता,लक्ष्मण कुमार, महेन्द्र रावत, मोहन जोशी, देवेंद्र सिंह बिष्ट,उदय राम मंमगाई, प्रदीप रावत, भाजपा नेता जेएस भण्डारी, मनोज आर्य, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, सच्चिदानंद, मोहन रावत, एस पी गौड़, देवेंद्र सजवान, राजेंद्र चमोली, प्रदीप नौडियाल,शिव प्रसाद बलोनी, पवन कुमार मैठाणी, रवीन्द्र चैहान,पदम बिष्ट, राकेश नेगी, नंदन मैहरा,देवीसिंह फोनिया, उमाशंकर शंकर कप्रवान,महेश मठपाल, कुंदन बिष्ट,, मोहन रावत,दीपक बिष्ट, देवेन्द्र बिष्ट, राजेन्द्र बिष्ट, डीएस बिष्ट, रिषि कुकरेती, हरीश असवाल,आनंद जोशी, मेघा, सागर, आदि सम्मलित रहे। धरने की अध्यक्षता व संचालन देव सिंह रावत ने किया। अस्वस्थता के कारण उत्तराखण्ड महासभा के अध्यक्ष हरिपाल रावत ने गैरसैंण आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का संदेश दिया। सभा के अंत में कामरेड वेद उनियाल के आकस्मिक निधन पर उनकी दिवंगत आत्मा की परम शांति के लिए दो मिनट का श्रद्धांजलि स्वरूप मौन रखा गया।

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