उत्तराखंड

उत्तराखण्ड आंदोलन की तरह भाजपा व कांग्रेस को हाशिये में धकेलकर जनांकांक्षाओं को साकार कर पायेगे दिवाकर !

दिवाकर भट्ट को  उक्रांद अध्यक्ष बना कर काशी सिंह ऐरी, पंवार व पुष्पेश ने लिया उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए बुद्धिमानी भरा फैसला

देवसिंह रावत

हाल के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की विधानसभा में अपनी उपस्थिति तक दर्ज कराने में असफल रहे उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन  के प्रणेता रहे उत्तराखण्ड क्रांति दल की कमान को राज्य गठन आंदोलन में फिल्ड मार्शल के नाम से विख्यात रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट को सौंपने की खबर सुनते ही भाजपा व कांग्रेस की सरकारों द्वारा छले गये निराश उत्तराखण्डियों में नयी आशा जाग गयी। गौरतलब है कि 16 मई को देहरादून के जोगीवाला में उक्रांद का दो दिवसीय द्विवार्षिक अधिवेशन में उक्रांद के आलाकमान काशीसिंह ऐरी, अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी व पूर्व अध्यक्ष त्रिवेन्द्र पंवार सहित सभी वरिष्ठ नेताओं ने सर्वसम्मति से पूर्व अध्यक्ष रहे दिवाकर भट्ट को अगले दो साल के उक्रांद का अध्यक्ष बनाया गया। इसका ऐलान पार्टी के मुख्य चुनाव अधिकारी सुरेन्द्र कुकरेती व सहायक चुनाव अधिकारी अतुल रमोला ने उनके अध्यक्ष निर्वाचित होने की घोषणा की।
इसके बाद दल के निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी, संरक्षक दिवाकर को, काशी सिंह ऐरी, त्रिवेन्द्र पंवार, बीडी रतूड़ी आदि शीर्ष नेताओं व कार्यकर्ताओं ने फूलमालाओं के साथ दिवाकर का अभिनंदन किया। इस अवसर पर दिवाकर भट्ट ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर आगे बढ़ना व दल को मजबूत करना उनकी प्राथमिकता है। दल में अब गुटबाजी के लिए कोई भी जगह नहीं होगी।
दिवाकर भट्ट 18 मई को कचहरी स्थित केंद्रीय कार्यालय में पदभार संभालेंगे। नयी कार्यकारणी में बहादुर सिंह रावत को मुख्य केंद्रीय महामंत्री व आनंद सिलमाना को कोषाध्यक्ष चुना गया है।
उक्रांद ने राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया जिसमें स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने और राज्य में पूर्ण शराबबंदी किये जाने का समर्थन किया गया है। जल, जंगल व जमीन, भूमिहीनों की समस्याओं के लिए संघर्ष करना, जनसहभागिता से राज्यहित के लिए संघर्ष करना समेत 22 बिंदुओं को राजनीतिक प्रस्ताव में शामिल किया गया है।
कहा कि दल के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए संगठन की मजबूती व जनहित के लिए संकल्पित रहेंगे। इस अवसर पर दिवाकर भट्ट ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दल के सामने कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों से पार पाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना होगा।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के बाद ही अपने अहं व पदलोलुपता के लिए उक्रांद को गुटों में विभाजित कर पतन के गर्त में धकेलने वाले इन मठाधीशों की आंखे खुली। उक्रांद का अस्तित्व बचाने के लिए कार्यकत्र्ताओं के दवाब में आकर पार्टी के शीर्ष नेता काशीसिंह ऐरी, दिवाकर भट्ट व त्रिवेन्द्रं पंवार के साथ पुष्पेश त्रिपाठी ने बहुत ही सुझबुझ का परिचय देते हुए एकजूट होने का निर्णय लिया। उसमें दिवाकर को संरक्षक बनाया गया। उसके बाद उक्रांद नेता इस बात पर एक मत थे कि अगर उक्रांद को पुन्न जनता के दिलों में बसाना है तो उक्रांद में तेजतरार नेतृत्व चाहिए। इसके लिए उक्रांद के पास वर्तमान समय में राज्य गठन आंदोलन के सबसे चर्चित व तेजतरार नेता दिवाकर भट्ट के अलावा कोई नजर नहीं आया।  फिल्डमार्शल के नाम से पूरे आंदोलन में विख्यात रहे  दिवाकर भट्ट ने वर्तमान विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव में देवप्रयाग की सीट में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के जो पसीने छुडाये उसे देख कर उक्रांद नेताओं के साथ प्रदेश के नेताओं ने उनके दमखम की खुल की सराहना की।
उक्रांद में बिखराव व एकजूटता पहली बार नहीं हो रही है। परन्तु इस समय की एकजूटता प्रदेश व दल केअसित्व बचाने के लिए है । दिवाकर भट्ट के साथ उक्रांद के शीर्ष नेता बडोनी व काशीसिंह ऐरी के बीच प्रारम्भ से ही 36 का आंकडा रहा। कई बार टूटे व एकजूट हुए। राज्य आंदोलन में भी ऐसा बिखराव करके उक्रांद ने जनता को निराश किया। बडोनी जी के निधन के बाद 3-4 टूकडों में बंटा उक्रांद। दिवाकर भट्ट का मोह भी उक्रांद से भंग हो गया था वे भाजपा की शरण में चले गये थे। परन्तु विधानसभा चुनाव में टिकट  न दिये जाने के बाद निर्दलीय चुनाव लडे दिवाकर भट्ट को भी उक्रांद को एकजूट करने की सुध आयी। उक्रांद को एकजूट करने व दिवाकर भट्ट को कमान सौपने से काशीसिंह ऐरी ने भी बुद्धिमानी का काम किया। उक्रांद के हित के साथ प्रदेश के हित में बेहतर निर्णय लिया। अब उक्रांद को चाहिए कि तमाम संघर्षशील ताकतों को एकजूट करके भाजपा की तरह अपने दल में चुनावी जंग में सफल होने के लिए जुटा कर संघर्ष तेज करे। गैरसैंण व मुजफ्फरनगर काण्ड के साथ भू कानून बनाने, शराब, खनन व भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक जनांदोलन छेडे। तभी उत्तराखण्ड की जनता लामबद होगी।

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