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पाक व चीन से सम्बंध बिच्छेद किये बिना नहीं हो सकता है आतंक व नक्सल का सफाया !

शासन प्रशासन को जनहित में समर्पित किये बिना मात्र पुलिस बल पर नहीं हो सकता है नक्सल समस्या का समाधान

देवसिंह रावत-
आज भारत नक्सल व आतंक की समस्या से बुरी तरह घिरा हुआ है। आये दिन देश को अपने जांबाज खोने पड़ रहे है।  देश की आम जनता हैरान है कि देश की सरकारें इन दोनों समस्या का निदान करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है। दलगत राजनीति व कुर्सी के मोह में मतों के मोहपाश में बंधी सरकारें इनके निदान के लिए ठोस कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। देश के अधिकांश सरकारें व राजनैतिक दलों के पास न तो इन समस्याओं से देश की रक्षा करने के लिए न कोई ठोस कार्य योजना है व नहीं प्रबल इच्छा शक्ति। अधिकांश मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री देश की इन तमाम विकराल समस्याओं का निदान करने के बजाय लोक लुभावनी घोषणा करते हुए अपनी सत्ता को मजबूत करने में समय नष्ट कर देश की इन समस्याओं को निरंतर मजबूत होने का अवसर दे रहे है। इससे देश की एकता व अखण्डता को बेहद खतरा पैदा हो गया है। जहां तक आतंक का सवाल है पाक व चीन के गठजोड़ से पूर्वोतर, कश्मीर, बंगाल, उड़िसा, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना आदि राज्यों के करीब सवा दो सौ जनपद नक्सल व आतंक प्रभावित है। देश के हुक्मरानों की स्थिति इतनी ऊहापोह की है कि वे इस समस्या के मूल कारण बन चूके पाकिस्तान व चीन को गंभीरता से ही नहीं ले रहे है। जबकि दोनों समस्या को अब विदेशी ताकतों के द्वारा ही खेला जा रहा है। प्रारम्भ में भले ही दोनों समस्या का कारण प्रशासन की गलतियों के कारण पनपे हों पर अब इन दोनों समस्या की बागडोर पूरी तरह से विदेशी ताकतों के हाथों में है। इसलिए यह जरूरी है कि पाक व चीन से सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ कर इन समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। वहीं इन दोनों देशों से किसी प्रकार के सम्बंध बनाये रखना इन दोनों समस्याओं को बिकराल करना ही होगा। आज हथियार हो या संसाधन या प्रशिक्षण या संरक्षण सभी इन्हीं दो देशों से आतंकियों व नक्सलियों को मिल रहा है।  देश के हुक्मरानों को यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन व पाक की दोस्ती भारत को बर्बाद करने के लिए ही हो रखी है। पाक को पहले अमेरिका ने सुरक्षा छाता दे रखा था वह सुरक्षा छाता अब चीन ने पाक को दिया है। यानी पाक पर किसी भी हमले पर उसकी रक्षा के लिए चीन भी मैंदान में उतरेगा। चीन के दम पर ही पाक भारत पर निरंतर हमला कर रहा है। पाक व चीन से सम्बंध तोड़ कर ही तमाम प्रकार की घुसपेट व आतंक की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
नक्सल समस्या जनहितों को रौंदने वाले कुशासन व विदेशी दुश्मनों का एक भारत विरोधी षडयंत्र है। शासन प्रशासन को जनहित में समर्पित किये बिना मात्र पुलिस या गोली के बल पर नक्सली समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है। मोदी सरकार सहित देश की तमाम सरकारों को चाहिए कि नक्सल प्रभावित सवा दो सौ जनपदों सहित पूरे देश में शिक्षा व स्वास्थ्य को माफियाओं व निजी हाथों से निकाल कर सरकार द्वारा सबको समान शिक्षा व चिकित्सा उपलब्ध कराये। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार को चाहिए कि जल, जंगल व जमीन पर स्थानीय लोगों के परंपरागत अधिकारों का अतिक्रमण व शोषण किये बिना स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला त्वरित विकास किया जाना चाहिए। देखा यह जा रहा है कि देश के नीति नियंता ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के हितों को रौंदते हुए या विस्थापित करके जो विकास की योजनाये बलात बनाते है उससे आदिवासी, दूरस्थ व उपेक्षित क्षेत्र के लोगों को लगता है प्रकृति की गौद व अपनी जमीन से उनको उजाड़ने का काम करने वाली उसकी अपनी सरकार तो हो ही नहीं सकती। खासकर पूरे हिमालयी व दूरस्थ क्षेत्रों में सदियों से जल, जंगल व जमीन की रक्षा करने वाले आदिवासी या स्थानीय लोगों के नहर, मोटर मार्ग आदि विकास के कार्यो की राह में तो वन अधिनियम अवरोधक बन जाता है। परन्तु पूरी घाटी की घाटी को बांध इत्यादि तथाकथित विकास की योजनाओं के लिए न केवल जल समाधी दी जाती है। लाखों जीव जन्तुओं को डूबो दिया जाता है। परन्तु स्थानीय लोगों को जबरन विस्थापन का दंश जहां ताउम्र झेलना पड़ता हैं वहीं उनको उस योजना से रोजगार सहित अन्य लाभो से वंचित रखा जाता है।
देश में शहरों पर आधारित  विकास के बजाय दूरस्थ व ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित त्वरित विकास किया जाय। इसके साथ सरकार को चाहिए कि देश के खिलाफ काम करने वाले तत्वों पर रहम करने के आत्मघाती प्रवृति को छोड़ कर पाक व चीन से तुरंत सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ कर उन्हें शत्रु राष्ट्र घोषित किया जाय। भारत को तबाह करने में तुले पाक व चीन से सम्बंध बिच्छेद किये बिना न आतंक का समूल सफाया किया जा सकता है व नहीं नक्सल समस्या का स्थाई निदान किया जा सकता है।

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