उत्तर प्रदेश उत्तराखंड

5 मई को तुंगनाथ धाम व 18 मई को मद्महेश्वर के खुलेंगे कपाट

ऊखीमठ(प्याउ)। भगवान बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री के साथ  देवभूमि उत्तराखण्ड के सभी पावन तीर्थो के कपाट ग्रीष्मकाल में खुलने के देश विदेश के सभी श्रद्धालु बड़ी बेसब्री से कर रहे है। प्रमुख सभी पावन धामों के कपाट खुलने की तिथियां पहले ही घोषित की जा चूकी है। इन दिनों इन धामों के कपाट खोलने की तैयारियां जोर सोर से चल रही है।
पांच बदरी व पांच केदार की पावन देवभूमि में मुख्य बदरी बदरीनाथ व मुख्य केदार, केदारनाथ धाम के अलावा बदरी व केदार के चार चार अन्य पावन तीर्थो के कपाट भी ग्रीष्मकाल में भक्तों के लिए खोले जाते है।
इसी सप्ताह 13 अप्रैल को बैशाखी (जिसे देवभूमि में बिखौती के नाम से जाना जाता है) के दिन द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने के लिए पावन तिथि निकालने के लिए पंचांग गणना, तुंगनाथ जी की शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में की गयी।
बैशाखी पर्व पर भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि पंचांग गणना के अनुसार 5 मई को मिथुन लग्न में प्रातः सवा दस बजे  घोषित की गई।
इसके लिए भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली 3 मई को शीतकालीन गद्दी स्थल से तुगनाथ मंदिर के लिए चलेगी। इसका प्रथम रात्रि विश्राम भूतनाथ मंदिर तथा 4 मई को दूसरा रात्रि विश्राम चोपता में होगा। 5 मई से प्रातः चापेता से बुग्यालों से होते हुए प्रातः तुंगनाथ धाम पंहुचेगी।
वहीं तृतीय केदार के नाम से विश्वविख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट 18 मई को कर्क लग्न में 11 बजे खोले जायेंगे।
मदमहेश्वर में कपाट खोलने का शुभारंभ 14 को गर्भगृह से सभा मण्डप में लायी जायेगी व 15 मई को सभा मंडप में ही प्रवास करेगी। 16मई को चल विग्रह उत्सव डोली औकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से प्रस्थान कर के प्रथम रात्रि विश्राम के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पंहुचेगी। 17 मई को रात्रि विश्राम गौंडार में करेगी। वहां से 18मई को तडके प्रस्तान करके भगवान मदमहेश्वर धाम पंहुचेगी। जहां 11 बजे कर्क लग्न में भगवान मदमहेश्वर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिये जायेगे।

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